वायरस फैलता गया तो मई तक दो लाख से ज्यादा वेंटिलेटर की जरूरत होगी, अभी केवल 55 हजार हैं

 देश में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही वेंटिलेटर की जरूरत भी बढ़ेगी। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) के अनुसार मई तक कम से कम दो लाख से ज्यादा वेंटिलेटर की जरूरत हाेगी। लेकिन, देश में अभी 55 हजार वेंटिलेटर ही हैं। वेंटिलेटर की मांग पूरी करने के लिए मारुति, महिंद्रा, कल्याणी, टाटा मोटर्स, हुंडई के अलावा कई अन्य कंपनियों ने इसके निर्माण में अपने संसाधनाें का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। एआईएमईडी का आकलन है कि कोरोना के मामले जब सबसे ज्यादा हाेंगे, तब देश को 15 मई तक 1.10 लाख से 2.20 लाख वेंटिलेटर की जरूरत हाेगी।


एआईएमईडी फोरम के को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने बताया कि 20 कंपनियों के संगठन ने सरकार को भराेसा दिलाया है कि हर महीने 50 हजार वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए जाएंगे, जबकि अभी यह क्षमता 5500 से 5700 की है।


400 वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी अब हर महीने 4 हजार बना रही


स्कान-रे कंपनी ने कहा है कि अभी वह दो हजार वेंटिलेटर हर महीने बना रही थी, जिसे बढ़ाकर पांच हजार कर दिया। वह मई तक हर महीने 30 हजार वेंटिलेटर बनाएगी। आमतौर पर प्रतिमाह 400 वेंटिलेटर बनाने वाली आग्वा कंपनी अब हर महीने 4 हजार वेंटिलेटर बना रही है। वह मई तक हर महीने 10 हजार वेंटिलेटर मुहैया करवाएगी। कुल 10 कंपनियां इस काम में जुटी हैं। सरकार ने अभी तक 47 हजार वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया है। 


20 कंपनियां बनाएंगी चार कराेड़ मास्क
20 कंपनी मिलकर प्रति वर्ष ढाई करोड़ मास्क बनाती थीं। अब यह क्षमता बढ़ाकर 4 करोड़ कर दी गई है। प्रतिमाह 5-6 लाख पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) बनाने का निर्णय लिया है।


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